जानें, मुखों के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने के लाभ

जानें, मुखों के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने के लाभ

रुद्र का अंश है रुद्राक्ष

रुद्राक्ष शिव का वरदान है, जिसे संसार के कल्याण हेतु भगवान शिव ने प्रकट किया है। इसे धारण करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आंखों से जल बिंदु से हुई है। इस बारे में पुराण में एक कथा प्रचलित है। कहते हैं कि एक बार भगवान शिव ने अपने मन को वश में कर दुनिया के कल्याण के लिए सैकड़ों वर्ष तक तप किया। एक दिन अचानक ही उनका मन दुखी हो गया जब उन्होंने अपनी आंखें खोली तो उनमें कुछ आंसू की बूंदें गिर गई। इन्ही आंसू की बूंदों से एक वृक्ष उत्पन्न हुआ। रुद्र का अंश होने के कारण इस वृक्ष को रुद्राक्ष कहा गया।

रुद्राक्ष के बारे में धार्मिक मान्यताओं के अलावा, आयुर्वेद में भी इसका उपयोग किया जाता है। रुद्राक्ष के बीजों को विभिन्न संख्या वाली मालाओं में धारण करने से शरीर के अलग-अलग भागों के लिए फायदेमंद होता है। रुद्राक्ष के बीजों का धारण करने से रक्तचाप नियंत्रित होता है, ध्यान की शक्ति बढ़ती है, मस्तिष्क शांत होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

रुद्राक्ष को जप माला के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। जप माला में 108 बीज होते हैं, जो हिंदू धर्म में एक पवित्र संख्या मानी जाती है। जप माला को धारण करके रुद्राक्ष के मंत्र का जप किया जाता है, जिससे मन को शांति मिलती है और ध्यान लगाने में मदद मिलती है।

रुद्राक्ष के बीजों को 1 से 21 मुखों तक की संख्या में पाया जाता है। हर मुख के साथ एक विशेष अर्थ जुड़ा होता है और इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

रुद्राक्ष में आम तौर पर 1 से लेकर 27 धारियां होती हैं, जिन्हे मुख कहा जाता है। इन्हीं मुखों के आधार पर उनका वर्गीकरण किया गया है। जिनमें से मुख्य हैं:

मुखों के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने के लाभ

-एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात् शिवे का प्रतीक है, जो सभी प्रकार का सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करता है।

-द्विमुखी रुद्राक्ष सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करने वाला है।

-त्रिमुखी रुद्राक्ष को अग्नि का स्वरूप माना गया है, किसको धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

-चतुर्मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म का प्रतीक है, जो धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष प्रदान करता है।

-पंचमुखी रुद्राक्ष का कालाग्नि रुद्र का स्वरूप है। यह धारण करता को हर तरह से सुखी रखता है।

-छह मुखी रुद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। यह रुद्राक्ष पापों से मुक्ति एवं संतान सुख देने वाला है। इसे दाई भुजा पर धारण करने से ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है।

-सात मुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता है। इसको धारण करने से स्वर्ण की चोरी और गो वध के पापों से मुक्ति मिलती है।

-आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है। यह आयु और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला है। इसको धारण करने से विभिन्न पापों से मुक्ति मिलती है।

-नौ मुखी रुद्राक्ष का नाम भैरव है, जो मृत्यु के भय को दूर भगाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति के भीतर वीरता, पराक्रम, सहनशीलता अदि में वृद्धि होती है।

-दस मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप है। इसे धारण करने से सभी ग्रह अनुकूल रहते हैं। इससे व्यक्ति का जीवन बाधा मुक्त हो जाता है। और इसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

-ग्यारह मुखी रुद्राक्ष भगवान शंकर के 11 वे अवतार हनुमान जी का प्रतीक है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सांसारिक ऐश्वर्य तथा संतान-सुख की प्राप्ति होती है।

-बारह मुखी रुद्राक्ष को कान में धारण करने से सूर्य आदि 12 आदित्य देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही यह रुद्राक्ष धन की प्राप्ति भी कराता है।

-तेरह मुखी रुद्राक्ष से आर्थिक-समृद्धि आती है। यह निसंतान को संतति प्राप्त प्रदान करने वाला, वशीकरण के गुण से युक्त सुख-शांति, सफलता दिलाने वाला भी है।

-चौदह मुखी रुद्राक्ष संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला है। इसे धारण करने से शनि और मंगल के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

इस तरह आप भी रुद्राक्ष के उचित उपयोग से जीवन को सुखमय बना सकते हैं।

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